ऋषिकेश। ऋषिकेश न केवल चारधाम यात्रा का प्रवेश द्वार है वरन विश्व योग व आध्यात्म की अन्तर्राष्ट्रीय राजधानी भी है। इस देव भूमि में ऋषि-मुनियों ने कठिन साधना कर स्वास्थ्य रक्षण के लिए योग और प्रणायाम के ऐसे सूत्र तलाशे हैं जो मानव सभ्यता के लिए वरदान साबित हुए हैं।
उक्त बात अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव के समापन अवसर पर शुक्रवार को शीशम झाड़ी, मुनि की रेती स्थित “गंगा रिजॉर्ट” में आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि देश-विदेश से आए योग साधकों, योगाचार्यों, योग गुरूओं, कथावाचक, समस्त प्रतिभागियों, गणमान्य अतिथियों और व्यवस्था में लगे पर्यटन विभाग के सभी अधिकारियों, कर्मचारियों का धन्यवाद और आभार व्यक्त करते हुए प्रदेश के पर्यटन, धर्मस्व, संस्कृति, लोक निर्माण, सिंचाई, पंचायतीराज एवं जलागम, मंत्री सतपाल महाराज ने कही। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड पावन पवित्र गंगा का ही नहीं वरन योग का भी उदगम स्थल है, योग व गंगा भारत के सांस्कृतिक व आध्यात्मिक धरोहर का प्रतीक हैं।
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